भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 84 | BNSS Section 84 in Hindi

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 Section 84 in Hindi

  1. (1) यदि किसी न्यायालय को (चाहे साक्ष्य लेने के पश्चात् या लिए बिना) यह विश्वास करने का कारण है कि कोई व्यक्ति जिसके विरुद्ध उसने वारंट जारी किया है, फरार हो गया है, या अपने को छिपा रहा है जिससे ऐसे वारंट का निष्पादन नहीं किया जा सकता तो ऐसा न्यायालय उससे यह अपेक्षा करने वाली लिखित उ‌द्घोषणा प्रकाशित कर सकता है कि वह व्यक्ति विनिर्दिष्ट स्थान में और चिनिर्दिष्ट समय पर, जो उस उ‌द्घोषणा के प्रकाशन की तारीख से कम से कम तीस दिन पश्चात् का होगा, हाजिर हो ।

(2) उ‌द्घोषणा निम्नलिखित रूप से प्रकाशित की जाएगी:-

(1) (क) वह उस नगर या याम के, जिसमें ऐसा व्यक्ति मामूली तौर पर निवास करता है, किसी सहजदृश्य स्थान में सार्वजनिक रूप से पढ़ी जाएगी:

(ख) यह उस गृह या वासस्थान के, जिसमें ऐसा व्यक्ति मामूली तौर पर निवास करता है, किसी सहजदृश्य भाग पर या ऐसे नगर या ग्राम के किसी सहजदृश्य स्थान पर लगाई जाएगी

(ग) उसकी एक प्रति उस न्याय सदन के किसी सहजदृश्य आग पर लगाई जाएगी;

(ii) यदि न्यायालय ठीक समझता है तो वह यह निदेश भी दे सकता है कि उ‌द्घोषणा की एक प्रति उस स्थान में, परिचालित किसी दैनिक समाचारपत्र में प्रकाशित की जाए जहां ऐसा व्यक्ति मामूली तौर पर निवास करता है।

(3) उ‌द्घोषणा जारी करने वाले न्यायालय द्वारा यह लिखित कथन कि उद्‌द्घोषणा विनिर्दिष्ट दिन उपचारा (2) के खंड (1) में विनिर्दिष्ट रीति से सम्यक् रूप से प्रकाशित कर दी गई है. इस बात का निश्चायक साक्ष्य होगा कि इस धारा की अपेक्षाओं का अनुपालन कर दिया गया है और उ‌द्घोषणा उस दिन प्रकाशित कर दी गई थी।

(4) जहां उपधारा (1) के अधीन प्रकाशित की गई उद्‌घोषणा ऐसे अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के संबंध जिसे भारतीय न्याय संहिता, 2023 या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अधीन दस वर्ष या अधिक के कारावास से या आजीवन कारावास या मृत्यु दण्ड से दंडनीय बनाया गया है और ऐसा व्यक्ति उ‌द्घोषणा में अपेक्षित विनिर्दिष्ट स्थान और समय पर उपस्थित होने में असफल रहता है तो न्यायालय, तब ऐसी जांच करने के पश्चात् जैसी यह ठीक समझता है, उसे उ‌द्घोषित अपराधी प्रकट कर सकेगा और उस प्रभाव की घोषणा कर सकेगा।

(5) उपधारा (2) और उपधारा (3) के उपबंध न्यायालय द्वारा उपधारा (4) के अधीन की गई घोषणा को उसी प्रकार लागू होंगे, जैसे वे उपधारा (1) के अधीन प्रकाशित उ‌द्घोषणा को लागू होते हैं।

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 Section 84 in English

  1. (1) If any Court has reason to believe (whether after taking evidence or not) that any person against whom a warrant has been issued by it has absconded or is concealing himself so that such warrant cannot be executed, such Court may publish a written proclamation requiring him to appear at a specified place and at a specified time not less than thirty days from the date of publishing such proclamation.
    (2) The proclamation shall be published as follows:—
    (i) (a) it shall be publicly read in some conspicuous place of the town or village in which such person ordinarily resides;
    (b) it shall be affixed to some conspicuous part of the house or homestead in which such person ordinarily resides or to some conspicuous place of such town or village;
    (c) a copy thereof shall be affixed to some conspicuous part of the Court-house;
    (ii) the Court may also, if it thinks fit, direct a copy of the proclamation to be published in a daily newspaper circulating in the place in which such person ordinarily resides.
    (3) A statement in writing by the Court issuing the proclamation to the effect that the proclamation was duly published on a specified day, in the manner specified in clause (i) of sub-section (2), shall be conclusive evidence that the requirements of this section have been complied with, and that the proclamation was published on such day.
    (4) Where a proclamation published under sub-section (1) is in respect of a person accused of an offence which is made punishable with imprisonment of ten years or more, or imprisonment for life or with death under the Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 or under any other law for the time being in force, and such person fails to appear at the specified place and time required by the proclamation, the Court may, after making such inquiry as it thinks fit, pronounce him a proclaimed offender and make a declaration to that effect.
    (5) The provisions of sub-sections (2) and (3) shall apply to a declaration made by the Court under sub-section (4) as they apply to the proclamation published under sub-section (1).

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